Nilotpal Mrinal Quotes

We've searched our database for all the quotes and captions related to Nilotpal Mrinal. Here they are! All 46 of them:

जिंदगी आदमी को दौड़ने के लिए कई रास्ते देती है, जरूरी नहीं है कि सब एक ही रास्ते दौड़ें। जरूरत है कि कोई एक रास्ता चुन लो और उस ट्रैक पर दौड़ पड़ो। रुको नहीं...दौड़ते रहो। क्या पता तुम किस दौड़ के डार्क हॉर्स साबित हो जाओ।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
इस देश ने जितना माक्र्स को पढ़ा, समझा और अपने में गूँथा-ठूँसा, उतना अगर गाँधीजी को पढ़ा-समझा होता तो शायद पीढ़ियों का सबक कुछ और होता।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
अक्सर ज्यादातर आदमी अपनी जवानी के दौर में समाजवादी, नारीवादी या मार्क्सवादी में से कुछ-न-कुछ जरूर होता है और एक दौर के बाद वो निश्चित रूप से इनमें से कुछ भी नहीं होता है। सिर्फ कमाता-खाता आदमी होता है।
Nilotpal Mrinal (Aughad (Hindi Edition))
भाग्य तो बस कच्चा माल है। कर्म ही उसे पकाने वाला ईंधन है। मान लो तुम्हारे घर में चावल है लेकिन अगर उसे चूल्हे पर चढ़ा बनाया नहीं तो बोरी में रखे-रखे चावल में एक दिन घुन लग जाएगा। भाग्य वही चावल है, अगर कर्म का चूल्हा जला के न बनाओ तो कितना भी भाग्य हो, उसमें घुन लग जाएगा।
Nilotpal Mrinal (Aughad (Hindi Edition))
चुनाव लड़ा पर चुनाव में धांधली की शिकायत हो जाने पर चुनाव
Nilotpal Mrinal (Aughad (Hindi Edition))
मैंने कहा कि ये दिन मेरे जीवन का सबसे निर्णायक दिन है। जितना पढ़ा और सीखा है उन सबको प्रस्तुत करने के लिए आपको मेरे लिए सबसे उपयुक्त और सहज माध्यम उपलब्ध कराना चाहिए न कि किसी विशेष माध्यम से ही खुद को पेश करने के लिए दबाव बनाना चाहिए। आज तो मुझे मेरी अभिव्यक्ति का सबसे अनुकूल माध्यम चाहिए न, क्योंकि आप तो मुझे मेरे ज्ञान और व्यक्तित्व से परखेंगे, न कि किसी खास भाषा को बोल लेने भर की क्षमता से परखेंगे। इतना सुनकर उन्होंने मुझसे कहा कि तुम नेता बनोगे, वही क्षेत्र ठीक रहेगा, वही बन जाओ। आईएएस वाली बात नहीं है तुममें। तुम बाहर जा सकते हो। और मैं बाहर आ गया।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
बिदेशिया, छठ के गीत, विवाह संस्कार के गीत, धोबिया, डोमकच, जंतसार, कजरी, चैती, चैता, फगुआ, होली सब सुनाता था और सब पर अच्छी जानकारी भी रखता था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
का करिएगा विरंची जी, बहुत ऊँचा चला गया बेटा हमरा, हमसे छुआता ही नहीं है अब। हम भी उसके साथ-साथ तनी ऊँचा हो गए हैं, सो ऊँचाई का दु:ख का लौकेगा अब नीचे वाले को। सब कहता है भोलानाथ को अब का दु:ख?” भोलानाथ यादव शून्य में देखते बोले जा रहे थे। “अरे आप भी फालतू टेंशनियाए हैं। एतना बड़ा घर में शादी किया। बहू भी आईएएस मिली और का चाहिए!” विरंची पांडे बोले। “हाँ विरंची जी पर एक बात बोलें, बड़ा घर में तो किया पर नेताजी के यहाँ करता न, नेता जनता से भी निभा देता है, हम तऽ फिर भी कलेक्टर के बाप थे” बोल के भोलानाथ यादव खैनी रटाने लगे।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
पढ़कर मर गए साला पर पीटी नहीं हुआ।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
तो क्या हुआ। अभी तो तुम्हारे पास और प्रयास है न! आगे हो जाएगा।” गुरु ने मुखर्जी नगर की रटी-रटाई लाइन बोली। “वाह रे गुरु भाई वाह! लीजिए, लीजिए साला हमारा फोन। बोलिए न हमरे बाप को कि पीटी नहीं हुआ इस बार भी आपके बेटे का, अगली बार हो जाएगा। अरे कैसे मुँह दिखाएँगे? हमारे बाप ने कर्जा लेकर हमको पैसा भेजा। इतना कष्ट से खर्चा आता है और साला हम कुछ नहीं कर पाए।” बोलकर दहाड़ मारकर रोने लगा संतोष। गुरु ने बड़ी मुश्किल से उसे समझा-बुझाकर शांत किया और कमरे पर लेकर आया। संतोष पूरी तरह एकाकी हो गया था। फ्रस्ट्रेशन शब्द का अर्थ उसने अब जाकर समझा था। दिन-रात यही चिंता कि घर किस मुँह लौटेगा। न किसी से बात करता न कहीं जाता। कुछ महीने यूँ ही गुजरे। एक दिन विनायक बाबू का फोन आ ही गया आखिर।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
यह बहुत भावुक क्षण था। मुखर्जी नगर आए लड़कों का बिना अपने सपने लिए बस अपने लाए सामान के साथ बेरंग लौटना सबसे ज्यादा कठिन समय होता है। “खैर, बहुत कुछ सीखे यहाँ और ये भी जाने हैं कि टैलेंट ही सब कुछ नहीं है भाग्य में भी होना चाहिए तभिये होगा।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
संतोष ने अगले ही पल मेज पर रखी स्याही की बोतल उठाई और अपने हथेली पर गिराकर उसे पोत लिया। उसने अपनी पुरानी भाग्य की रेखाएँ मिटा दी थीं। अब उसका हाथ सपाट था, कोई रेखा नहीं। उसने कसम खा ली, इस पर फिर से अपना भाग्य लिखेगा। उसने तभी तय कर लिया कि चाहे पापा पैसे भेजें या न भेजें पर घर वापस नहीं जाएगा अभी। वह रायसाहब के रास्ते नहीं चलेगा। उसने तय कर लिया था, वह अपने रास्ते दौड़ेगा, छोड़कर भागेगा नहीं।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
नशा है आईएएस की तैयारी। जब तक उम्र और अटेम्प्ट है, एक बार आया लड़का ये दोनों गँवाए बिना मुखर्जी नगर से शायद ही वापस जाता था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
पुरातन विश्वविद्यालयीय अध्ययन परिपाटी का पारंपरिक छात्र था जो या तो संयोग से आईएएस बनता है, या फिर कुछ नहीं बनता है। आज के समय जब देश में आयोजित किसी भी क्षेत्र की प्रतियोगिता परीक्षा में विज्ञान, तकनीकी, गणित और अँग्रेजी का महत्व बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाने लगा था ऐसे में इन विश्वविद्यालय से इतिहास, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र जैसे विषयों को लेकर पढ़े छात्रों की डिग्रियाँ बस शादी के कार्ड में जिक्र करने के काम आती थीं, अन्यत्र कहीं नहीं,
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
वैसे चलिए आप सबके ही साथ यहाँ हँसते, रहते, पढ़ते मैंने खुलकर अपनी जिंदगी जी ली। जी भर जी ली मैं, अब शादी होगी और पति का साथ तो मरने तक निभाना है। उनके साथ तो मरना होता है ना! जीने वाला दौर जी लिया मैंने।” विदिशा ने कहा।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
किसी भी चीज के बारे में जानना, समझना, उस पर सोचना ज्ञान है कि उसे हिंदी या अँग्रेजी के माध्यम से जानना समझना ज्ञान है! भाई साहब! एक भाषा आपके द्वारा जाने और समझे गए बातों या ज्ञान को संप्रेषित करने, व्यक्त करने का माध्यम भर ही तो है ना!
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
भाषा तो सब जरूरी है, अँग्रेजी व्यापार की भाषा है, उर्दू प्यार की भाषा है और हिंदी व्यवहार की भाषा है”।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
तय नहीं कर पा रहा था कि वह क्या महसूस करे, गुदगुदी या कंपन। वह इन दोनों का भेद नहीं समझ पा रहा था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
उत्साह बढ़ाने में गाय और बैल का कोई फर्क नहीं करते थे। वे बैल को भी यह आशा बँधवा देते थे कि ‘तुम एक दिन दूध दोगे, बस अच्छे से चारा-बेसन खाओ’ और फिर इनके दिए नोट्स का चारा खा-खाकर कई इस उम्मीद में कई विषय के साँड़ तो हो गए लेकिन सफलता का दूध नहीं निकला
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
कोई भी कह सकता था कि बुढ़ापा आदमी का अंतिम बचपन है।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
बस घड़ी और साँस, फिलहाल यही दोनों लगातार चल रही हैं।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
गुरुराज सिंह झारखंड के संत कोलंबस कॉलेज का छात्र रहा था। कुछ समय राँची में भी सिविल की तैयारी के लिए रहा। अपनी पहली मुख्य परीक्षा उसने वहीं रहते दी थी। पाँच साल से दिल्ली में था। पिता सरकारी नौकरी में थे। गुरुराज अपने आप में कई विरोधाभासों का मिश्रण था। दुनिया दाएँ चले तो वह बाएँ चलता था। आईएएस की तैयारी के लिहाज से वह उतना पढ़ चुका था जितने की जरूरत नहीं थी। दुनिया को अपनी दृष्टि से देखता था और बिना हिचक अपनी बात कह भी देता था। कुछ लोग उसे अक्खड़ और दंभी कहते थे, पर मूलत: वह साहसी था। मुखर्जी नगर के बौद्धिक वर्ग के लिए वह एक बिगड़ैल आदमी था। बौद्धिकता की गंभीरता और तार्किकता पर बड़ी निर्ममता से व्यंग्य करता था। ‘बुद्धिजीवी वर्ग’ इस शब्द को वह एक गंभीर फूहड़पन कहता था। दारू और किताब उसके दो प्रिय साथी थे। काम भर का धार्मिक भी था और ज्योतिष का इल्म भी पा रखा था उसने। अब तक आईएएस में असफल था। पिता दशरथ सिंह उसे अपने जीवन की सबसे बड़ी समस्या कहते थे पर गुरुराज के लिए उसके पिता ही उसके जीवन दर्शन के गुरु थे। गुरुराज ने अपने जीवन के कई साल झारखंड के आदिवासियों के बीच गुजारे थे और उनके प्रति उसकी संवेदना कभी-कभार उसके विचारों में छलककर दिख ही जाती थी। कुछ लोगों का कहना था कि वह कभी नक्सली संपर्क में भी रहा था। यद्यपि उसके सर पर कुछ पुलिस केस भी थे जिसे वह अपने छात्र जीवन के दौरान कई सामाजिक संगठनों से जुड़े होने के कारण राजनीतिक षड्यंत्र का नतीजा बताता था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
गुरुराज सिंह झारखंड के संत कोलंबस कॉलेज का छात्र रहा था। कुछ समय राँची में भी सिविल की तैयारी के लिए रहा। अपनी पहली मुख्य परीक्षा उसने वहीं रहते दी थी। पाँच साल से दिल्ली में था। पिता सरकारी नौकरी में थे। गुरुराज अपने आप में कई विरोधाभासों का मिश्रण था। दुनिया दाएँ चले तो वह बाएँ चलता था। आईएएस की तैयारी के लिहाज से वह उतना पढ़ चुका था जितने की जरूरत नहीं थी। दुनिया को अपनी दृष्टि से देखता था और बिना हिचक अपनी बात कह भी देता था। कुछ लोग उसे अक्खड़ और दंभी कहते थे, पर मूलत: वह साहसी था। मुखर्जी नगर के बौद्धिक वर्ग के लिए वह एक बिगड़ैल आदमी था। बौद्धिकता की गंभीरता और तार्किकता पर बड़ी निर्ममता से व्यंग्य करता था। ‘बुद्धिजीवी वर्ग’ इस शब्द को वह एक गंभीर फूहड़पन कहता था। दारू और किताब उसके दो प्रिय साथी थे। काम भर का धार्मिक भी था और ज्योतिष का इल्म भी पा रखा था उसने। अब तक आईएएस में असफल था। पिता दशरथ सिंह उसे अपने जीवन की सबसे बड़ी समस्या कहते थे पर गुरुराज के लिए उसके पिता ही उसके जीवन दर्शन के गुरु थे। गुरुराज ने अपने जीवन के कई साल झारखंड के आदिवासियों के बीच गुजारे थे और उनके प्रति उसकी संवेदना कभी-कभार उसके विचारों में छलककर दिख ही जाती थी। कुछ लोगों का कहना था कि वह कभी नक्सली संपर्क में भी रहा था। यद्यपि उसके सर पर कुछ पुलिस केस भी थे जिसे वह अपने छात्र जीवन के दौरान कई सामाजिक संगठनों से जुड़े होने के कारण राजनीतिक षड्यंत्र का नतीजा बताता था। कुल-मिलाकर उसे देखकर कहा जा सकता था कि वह संभावनाओं से भरा एक निराश और बेचैन आदमी था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
खुद को इतना भी गीला न रखो कि कोई जैसा चाहे आकार दे दे। व्यक्तित्व का लचीला होना और गीला होना दोनों अलग-अलग बातें हैं मित्र।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
खुल के इन्जॉय करने के बाद पढ़ाई का मजा ही कुछ और है। पढ़ने में दोगुना एनर्जी आ जाता है।” भरत ने पीने के वैज्ञानिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए बताया। “हाँ, मेंटल स्ट्रेस कम होता है। हम इसलिए कभी-कभार लेते रहते हैं।” मनोहर ने पक्ष मजबूत करते हुए कहा। “देखिए पीना बुरा थोड़े है। कुछ लोग कहते हैं ये चरित्र का मामला है पर ऐसा नहीं है। आप पूजा करके उठे और किसी का बलात्कार कर दीजिए तो वो बुरा है कि कोई दारू पी के उठे और किसी को बलात्कार से बचा ले ये बुरा है, बताइये! सो, दारू बुरा नहीं होता, आदमी का मन कैसा है, ये मायने रखता है।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
पहली बार सुरा में ज्ञान को इस कदर डूबे देखा था। शराब की पाकसाई पर इतनी सार्थक चर्चा सुनने का पहला मौका था उसके लिए। उसका मन कर रहा था हाथ में चुल्लू भर शराब ले और आचमन कर ले।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
सामान्य तौर पर हिंदी पट्टी के परिवार और समाज के लिए ‘अँग्रेजी’ वो पतित पावन धारा थी जो हर पाप धो देती थी। अगर अँग्रेजी जानते हैं तो फिर आपका सब अच्छा-बुरा इस आवरण में ढक सकता है। अँग्रेजी जानने वाला वहाँ सियारों के बीच लकड़बघ्घे की तरह होता है। गाँव से बाहर पढ़ने जाने वाले बच्चे की योग्यता भी बस इसी बात से मापी जाती थी कि इसने अँग्रेजी कितनी जानी। आईएएस की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के अभिभावकों को भी यह लालसा सदा बनी रहती थी कि बच्चा कलेक्टर बने पर अँग्रेजी में बोलेगा तो बढ़िया कलेक्टर बनेगा। मनोहर वैसे ही अँग्रेजोफोबिया वाले हिंदी समाज से आया था जहाँ अँग्रेजी भाषा नहीं, बौद्धिकता और विद्वता का शिलाजीत था जिसने इसे पिया है वही बुद्धिमान है और विद्वान है। वह अँग्रेजी के इस संजीवन गुण को खूब जानता था
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
कोई आदमी हजार किलोमीटर अपने घर से दूर यहाँ दिल्ली आता है कि यहाँ रह के तैयारी करेगा, अच्छा मार्गदर्शन पाएगा, विषयों को पढ़ाने वाले विशेषज्ञों से पढ़ेगा, सफल लोगों का अनुभव लेगा, ऐसे में दिल्ली आया कैसे कोचिंग नहीं लेगा भई! उसके तो आने का प्रयोजन ही कोचिंग लेना था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
तुमने कोचिंग लेने के बाद ही जाना न! तुमने कोचिंग करके ही जाना न कि यहाँ एडमिशन लेके पढ़ना बेवकूफी है! तुमने कुछ छलिए से पढ़ने के बाद ही जाना न कि कौन-सा टीचर यहाँ सच में बेहतर है!
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
अरे ई तो आज तक हुआ ही नहीं कि कोई मुखर्जी नगर आए और इतना भाग्यशाली हो कि बिना पैसा लुटाए, बिना कोचिंग में फँसे सलेक्ट होकर चला जाए। यहाँ एलियन भी आएगा न तो उसको भी पहले कोचिंग में एडमिशन लेना होगा।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
केवल अँग्रेजी बोलने की क्षमता न होने के आधार पर बाहर कर देने की परिपाटी का मैं विरोध करता हूँ। मैं उस मानसिकता का विरोध करता हूँ जिसने मुझे बिहारी दूल्हे का टाई वाला जुमला सुनाया। ये परिपाटी बदलेगी और मैं इसके विरुद्ध लड़ने का साहस रखता हूँ। एक दिन ये लड़ाई जरूर होगी। हम जीतेंगे भी देख लेना भरत कुमार, हम जीतेंगे। ये मानसिकता हारेगी।” गुरु ने इतना कहकर आँख मूँद ली, दो बूँद नीचे गिरी टप से।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
ये कोई ऐसी जगह होगी जहाँ लड़के रात-दिन कमरे में बंद बस पढ़ते होंगे। हर आदमी गंभीर होगा। लोग केवल किताब खाते और स्याही पीते होंगे। उन्हें लगता था कि हर आदमी शंकराचार्य की तरह सर मुड़ाए होगा या रवींद्रनाथ टैगोर की तरह दाढ़ी बढ़ाए होगा। यहाँ के शिक्षक गुरु द्रोण की भांति तेज से भरे होंगे। हर छात्र एक अर्जुन होगा और सब मछली की आँख फोड़ने के प्रयास में लगे होंगे। कुछ ऐसी ही कल्पनाओं से भरा होता था यहाँ आने वाले हर अभिभावक का मन।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
पेय पदार्थों में दारू सबसे समाजवादी और समतामूलक चरित्र का होता था। शायद यही कारण है कि दारू हमेशा से मार्क्सवादियों, समाजवादियों में सबसे प्रिय पेय रहा था। यही एक ऐसा पेय था जिसे पीने के बाद आदमी का दिमाग चाहे जितना आसमान उड़े पर शरीर अक्सर जमीन से जुड़ा, जमीन पर लेटा हुआ मिलता था। जमीनी ड्रिंक था दारू। दारू बड़े और छोटे का फर्क मिटा देता था।
Nilotpal Mrinal (Aughad (Hindi Edition))
कैसा धर्म है जो पैसा लेकर सेठ के लिए शंख फूँक सकता है लेकिन हरिजन के लिए नहीं।
Nilotpal Mrinal (Aughad (Hindi Edition))
एक ऐसा वर्ग था जो घर के भेजे पैसे से अभी खा तो ब्रेड रहा था पर आगे की चिंता रोटी की थी।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
बेटे के प्रति पिता के कठोर व्यवहार के आवरण को एक माँ खीरे के छिलके की तरह उतार देती है और
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
माँ के मुँह से निकला था, “पता नहीं दफन होने को दो गज भी जमीन बचेगी कि नहीं, पर तू मत हारना जावेद, अब्बा का सपना पूरा करना। ये जमीन जाने दे। तुझे तो आसमान जीतना है।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
इस सूर्य की रौशनी में जितनी भी चीजें दिखाई दे रही हैं, वो सब यूपीएससी का सलेबस है। तुम्हें इसका अध्ययन करना है तो हर वक्त आँख और कान खुले रखो। बस समझो हो गई तैयारी।” गुरु ने दार्शनिक अंदाज में कहा।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
गुरु एक बार हारी हुई बाजी फिर नहीं खेलना चाहता था क्योंकि अब वह जीतकर भी हार जाता।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
एक मैसेज से जवाब देता था गुरु। पूरी दुनिया के आगे शब्दों से परमाणु बम पटक देने वाला गुरु बरसों से अपने पिता के आगे चुप था। बोलकर भला क्या साबित कर सकता था! उसे कुछ करके साबित करना था। रास्ते में कोचिंग लेकर वापिस आता संतोष मिल गया। “आपका रिजल्ट का क्या हुआ गुरु भाई?” संतोष ने देखते पूछा। “वही जो देवदास का पारो के घर हुआ था, एकदम दरवाजे पर जा के दम तोड़ दिए हम भी, हाहाहा साला यूपीएससी” कहकर गुरु खूब हँसा।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
दोनों के बीच प्रेम सावन में दूब की तरह बड़ी तेजी से उग आया था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
किसी ने उडा़कर पर काट लिए हों।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
वे एक ऐसी बारात के मुखिया थे जो बिना अपने बेटे और बहू के वापस घर लौट रही थी।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
अभी कुछ महीने पहले आईएएस बनने के बाद जब आसपास का पूरा गाँव उसे देखने आया था, उससे उसने जो देवत्व पाया था वो यहाँ इतने देवताओं के बीच गुम हो गया था।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
का सरकार, चार करोड़ देने वाले की बेटी नहीं देखी जाती। अरे ऊ हमारी भी बेटी है।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))
हाँ, सेवकराम जी! कल से तीन दिन दैनिक भास्कर की जगह ‘द हिन्दू’ डाल देना मेरे यहाँ”। “जी ठीक है, कोई आया है का घर से सर?” अखबार वाले सेवकराम ने उधर से कहा। “हाँ, वही समझो।” मनोहर ने निर्लज्जता से कहा और फोन काट दिया।
Nilotpal Mrinal (Dark Horse । डार्क हॉर्स (21वीं सदी की हिंदी की सर्वाधिक चर्चित किताब) (Hindi Edition))