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पहले भी जीते थे मगर जब से मिली है ज़िन्दगी सीधी नहीं है दूर तक उलझी हुई है ज़िन्दगी इक आँख से रोती है ये, इक आँख से हँसती है ये जैसी दिखाई दे जिसे उसकी वही है ज़िन्दगी जो पाये वो खोये उसे, जो खोये वो रोये उसे यूँ तो सभी के पास है किसकी हुई है ज़िन्दगी हर रास्ता अनजान-सा हर फ़लसफ़ा नादान-सा सदियों पुरानी है मगर हर दिन नयी है ज़िन्दगी अच्छी-भली थी दूर से जब पास आयी खो गयी जिसमें न आये कुछ नज़र वो रोशनी है ज़िन्दगी मिट्टी हवा लेकर उड़ी घूमी फिरी वापस मुड़ी क़ब्रों पे कतबों1 की तरह लिक्खी हुई है ज़िन्दगी
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