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LIFE IS AN ENTHUSIASM. MY EXPERIENCE OF LIFE, MY VISION ALL ARE MENTION IN MY BOOKS. WRITING LANGUAGE - MALAYALAM. I BORN AND BROUGHT UP IN KERALA. MY LIFE PERIOD MORE THAN 28 YEARS WORKING IN THE MIDDLE EAST. IN MY LIFE EXPERIENCE INVOLVED IN MY ALL LITERARY WORKS - POEMS, DRAMA, NOVELS, TRAVELOGUES, SHORT STORIES & SCREENPLAY. PLEASE READ MY BOOKS AND COMMENT IN MY FACEBOOK/TWITTER/GOOD READS ETC... I REQUEST TO ALL KERALITES BUY MY BOOKS; READ AND COMMENT IT. MY BOOKS PUBLISHER IS CYBERWIT.NET - ALL MY BRIEF MENTIONED IN THAT PAGES.
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Saravan Maheswer (Ee Unjalil Aadaruthu)
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Kerala’s food evolved from the diverse people who traversed this land. The story of Kerala is closely linked to the story of the world’s eagerness for spices. Because of the wealth this land possessed, people of various countries,
religions and races arrived, for trade. Flourishing commerce translated into an enthusiastic reception for those who could conduct business competently. Which, in turn, opened up avenues for new religions and communities. Eventually, colonization spelt an end to the hospitality, but it also gave rise to the strong ethos of Malayali-ness that now marks this land.
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Theresa Varghese (Cuisine Kerala)
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Where words end, eyes begin, and hands weave timeless stories, that's the art of Kathakali.
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Raigon Stanley
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The women make, harvest, craft, cook, market and sell the products to consumers in their districts and have gradually made inroads into the corners occupied by the large multinationals and medium-scale businesses. They were practising the hyper-local model long before Silicon Valley coined the term.
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Anjana Menon (Onam in a Nightie: Stories from a Kerala Quarantine)
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[Kerala; Communism, ballots over bullets… Promises, experiments, egalitarianism… Last remaining memory of a shared dream… Beautiful, regretful… Beautiful dreams disappearing on waking up to realities… Realities, regrets that remain… Dialectics eschewed, materialism that remains…
These villages are notorious for infanticide, foeticide, STDs, malaria, TB and the more rampant malnourishment, poverty and casteism. All of it killed its people. Along with snake bites, sorcery and quackery.
These are the little miracles that my kind take for granted, for we believe we are born with certain entitlements. We fail to see the miracles. Maybe it is for this reason there aren’t many rationalists and atheists hailing from the houses of the poor.
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Rasal (I Killed the Golden Goose : A COLLECTION OF THOUGHTS, THOUGHTLESSNESS, SILENCES, POEMS & SOME ‘SHOT’ STORIES)
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सरोवर के जल में पहाड़ियाँ प्रतिबिंबित थीं। बादलों का गाढ़ा आलिंगन करनेवाली पहाड़ियों की तराई के श्याम और घने जंगलों में...। उन्हें याद आया। जंगलों में चंपे के फूल खिले होंगे। चंपकाशोक पुन्नाग सौगंधिक लसलकचा कुरुविन्दमणिश्रेणी कनत् कोटीरमण्डिता... बंद दरवाजे को ढकेलते हुए कमरे के अंदर जिस प्रकार ठंडी हवा घुस जाती है, उसी प्रकार मन में पुरानी यादें उथल—पुथल मचाने लगीं। बरसात की धुँधली संध्या। बाहर विशेष ताल—क्रम में चढ़ती—उतरती वर्षा का संगीत सुनने के लिए रात में बिना सोए लेटनेवाला एक बालक...
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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उसके झुके हुए सिर पर हाथ रखा तो मेरा हृदय ही हाथों में आ गया था। ‘‘सूर्यसेन! मास्टर दा! जिस माता ने तुम्हें जन्म दिया था, क्या वह मेरी दीदी तो नहीं थी?
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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माँ, क्या तुमने सुना है, पहले यूनान की माताएँ अपने प्रथम पुत्र को युद्ध देवता के लिए बलि चढ़ाती थीं? जन्म देनेवाले देश के हित मरना स्वर्ग पाना ही है। मेरी माँ देवी है न? मातृभूमि के लिए तुम बड़े बेटे का त्याग कर दो। तुम्हारे और भी आठ संतानें तो हैं ही।’’ मैं फूट—फूटकर रो पड़ी, ‘‘बेटा, देश से बड़ी है माँ। माँ का हृदय होता है। वह फट जाएगा। देश तो केवल मिट्टी और कंकड़ है।’’ धीर ने मेरे ललाट को चूम लिया। ‘‘नहीं माँ, नहीं, देश आपके समान कोटि—कोटि माताओं के हृदयों से बना है। उनको वेदना है, घुटन है, आँसू हैं। इस दुःखी मातृभूमि की मुक्ति के हित यदि मैं मर गया तो माँ, तुमको ‘वंदे मातरम्’ गाकर हँसना चाहिए।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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बच्चो, इन बंगालियों की हमेशा ही यही विधि रही है। यहाँ की प्रकृति ही विक्षुब्ध है। समुद्र हमेशा तट प्रदेशों का आक्रमण कर उन्हें डुबो देता है। तूफान आता है। पद्मा नदी में बाढ़ आ जाती है। हैजा और गरीबी फैल जाते हैं। इनका सामना तो जाति और धर्म के आधार पर किया ही नहीं जा सकेगा।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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मैंने मेहनत की! कैसी मेहनत!! क्या, मैंने तुम्हारे लिए कोई घर बनवा दिया, क्या कोई मोटर—गाड़ी खरीद दी, क्या कोई बैंक—बैलेंस दिया? मेरे उपदेशों ने, जो मुझसे सदैव ही तुम्हें सहज ही उपलब्ध होता था, तुम्हें भी मेहनती बना दिया; पेट काटकर जीनावाले निम्न मध्यवर्ग का ईमानदार नागरिक बना दिया।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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माँ, मुझे माफी दे दीजिए, मैं सूर्यसेन। मुझे ‘मास्टर दा’ पुकारते हैं। मातृभूमि की आराधना हम महाकाली के रूप में करते हैं। शत करों में तलवार, शत करों में चक्र! शत्रु के रक्त से रंजित सिर, अँतड़ी, किंतु आज मैंने पहले—पहल देवी के अन्नपूर्णेश्वरी रूप को देख लिया है। करुणामूर्ति को देख लिया है। आप का आशिष मिले कि यह रूप भी सदा—सर्वदा मेरे ध्यान में रहे।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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गोपीनाथ को माफी नहीं देने की दलील पेश करनेवाले गांधीजी से मैंने कहा, ‘‘बापूजी, इतिहास तुम्हें माफी नहीं देगा। धीरता कोई अपराध नहीं। देश के लिए मारकर और मरकर ये बँगला युवक अमरता को प्राप्त कर गए हैं।’’ आखिर जाति और धर्म के आधार पर जब देश का विभाजन हुआ तो त्रैलोक्य चक्रवर्ती ने नेहरू से कहा, ‘‘किसके कहने पर तुमने बंगाल का सिर काटा,
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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समय की गति कितनी तेज है! पिता की तर्जनी पकड़कर ठुनकनेवाला मैं, माँ के आँचल से लटककर ‘भूख लगी है’ रोनेवाला मैं, ओफ! जमाने की हड़बड़ाहट! अंतरंग में आदर्शों के कितने बम फूटे! मेरा हृदय भयानक रणभूमि है। आज मैं कौन हूँ? क्रांतिकारी, राजद्रोही, दैवद्रोही, कम्युनिस्ट—और भी जाने क्या—क्या? लेकिन सच में क्या मैं इनमें से कोई हूँ? ओफ! कैसी परेशानी है! या खुदा!
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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पैरों के पास एक खुली किताब। खुले दो पन्नों पर मानव राशि का इतिहास यों अंकित— ‘‘जंजीरों में मिट्टी से बँधा होने पर भी वह काल और समय के परे देख रहा है। लुभावने कल की ओर।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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ग्रीष्म के स्वच्छ जल से भरी सरिता। सरिता के किनारे आमूलचूल फूलों से लदे कुटज वृक्षवृंद। बाँस के जंगल। स्नान कर मंदिर की ओर जानेवाली सुबह की सुमन जैसी एक बालिका।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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बोलो इंदिरा, बोलो, क्या शांति मजूमदार यहाँ शरणार्थिनी बनकर आई? धीर, समर, सत्य और नित्य की माँ इधर विदेशी है क्या, टैगोर, शरतचंद्र, सी.आर. दास और नेताजी के देश में खड़ी होकर मैं पूछती हूँ, ‘‘शांति मजूमदार स्वदेशी है या विदेशी? यदि तुम कहोगे कि यह मेरा देश नहीं है तो मैं इधर नहीं मरूँगी। ओह!...मेरी आँखों से आँसू निकल रहे हैं। सिर चकरा रहा है। नहीं, मैं रोऊँगी नहीं।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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चितेरी जिस प्रकार चित्र को देखती है,
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नाश्ता करके वाश—बेसिन के पास खड़े होकर हाथ धो रहे सत्यनेशन को जरा छू लेने को उसका मन हुआ। जब वह बीस बरस की थी, तब एक ठंडी रात में इसने उसके कन्यात्व का भेदन किया था। एक के पीछे एक—दो बच्चों को इसने प्रदान किया था, फिर एक सहज विराग की ओर पिछड़कर जिम्मेदारियों की दुर्गंधपूर्ण दुनिया की ओर उसे फेंक दिया सावित्री के सत्यनेशन ने। अंतिम स्पर्श के लिए जिस क्षण वह उसके ठीक पीछे पहुँच गई, तब मीठे स्वर में ‘सर’ पुकारती हुई होमनर्स प्रत्यक्ष हो गई। एक नुस्खा पकड़ाकर बोली कि अम्मा के लिए ये सारी दवाएँ शाम को बिना भूले खरीदकर लाइएगा। सावित्री ने देखा कि सत्यनेशन बारह सालों में जो हँसी उसे प्रदान नहीं कर सका था, वह हँसी होमनर्स को भेंट कर रहा है। उसने निर्णय लिया कि अब उसे छूना नहीं चाहिए।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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चतुर्थ चली गई तो मृत्यु उदित हुई। कोई भी मृत्यु अकस्मात् नहीं घटती। अमुक दिन, अमुक पल, अमुक घटना घटेगी, ऐसा बहुत पहले से ही लिखकर रखा गया है। अंतरिक्ष के परमाणुओं को बस राह देखनी है। वायु घनीभूत हो गई। हवा निश्चल हो गई। सब—के—सब इंतजार में खड़े रहे।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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भेड़िए के गले से काँटा निकालनेवाला बगुला...
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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हल्की सी धूप में खेत के सँकरे मेंड़ से संतुलन खोए बगैर युवक चल रहा है। उसके पीछे धोती—दुपट्टा पहने वह कृशगात्री। धूप के लगने से लाल—लाल हुए उसके गालों को, पसीने से तर उस माथे को उनका वात्सल्य सहला रहा है— ‘‘धीरे—धीरे...ध्यान से...फिसलो मत,’’ पैर जरा सा फिसला तो बचाव के लिए उनके हाथ उठ आते। स्पर्श की लाजवश उस देहाती बाला का सिर कमल—कली की भाँति झुक जाता। उनके पीछे हरे रंग का संदूक लादकर कोई छोकरा। फिर चार—पाँच बंधुजन। खेत के उस पार खड़े होकर इस यात्रा को निहारनेवाले गांधी—टोपी वाले। दुपट्टे के आँचल से आँसू पोंछनेवाली माता। छोटे बच्चे—दांपत्य की ओर बढ़नेवाली सुदीर्घ यात्रा।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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पहली चली गई तो हवा बह निकली। झील की ठंडी लहरें झूम उठीं। धातु की परतों से बनी बंद जालियों की दरारों से मवेशी पानी की ओर लालच के साथ नजर डाले खड़े रहे। उनके गले में सूखे फूस के टुकड़े उलझे पड़े रहे। पानी की ओर देखते हुए वे इस भाँति तरसते खड़े रहे, जैसे जिंदगी मौत की ओर ताक रही हो। रेल की पटरियाँ जिन पर मृत्यु निद्रित पड़ी थी, निर्विकार पड़ी रहीं।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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दूसरी चली गई तो सूरज हँस पड़ा। उस मृदु हास में झील चमकने लगी। काँटे डालकर मछली पकड़नेवाले पुल पर से चलकर नीचे की ओर उतरे। मछलियों को काँटे में फँसानेवाले कुलावे पानी में छाया बिछाते हुए उड़ते रहे। यह जाने बगैर कि मृत्यु उनके ऊपर मँडरा रही है।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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तीसरी चली गई तो प्रकृति झकझोर उठी। अंतरिक्ष के परमाणु नवोन्मेष के साथ राह देखते रहे। अब और एक भी पुल को प्रकंपित करता चला जाए तो मुझे रक्तिम होना है, यह सोच प्रकृति रुधिर के नशे के लिए बाट जोहती रही।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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बचे हुए एक मात्र पल की ओर सावित्री ने प्रचंड मन शक्ति के साथ अपनी तमाम जिंदगी का आह्वान किया। अनजाने ही उसके भीतर से एक दीर्घ विश्वास उभर उठा। अकस्मात् उभर आया स्त्री—विश्वास ठोकर खाकर बिखर गया। वायु के परमाणु दूर छिटक गए। अखबार का समाचार विशेषज्ञों ने पता लगाया है कि जिस रेल दुर्घटना में पटरियों से उलटकर गाड़ी झील में गिर गई और ध्वस्त हो गई, उसका कारण अकस्मात् हुआ बवंडर है, किंतु उस घटना की एक मात्र चश्मदीद गवाह तथा प्रदेशवासी श्रीमती सावित्री सत्यनेशन ने समाचार—पत्र के संवाददाता से कहा है कि बवंडर क्या, एक मामूली सी हवा भी उस प्रदेश में तब नहीं बही थी, किंतु विशेषज्ञों की राय में कतिपय बवंडर ऐसे हैं, जो इनसान के विश्वासों के समान होते हैं, जिन्हें नग्न नेत्रों से देखा नहीं जा सकता।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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स्त्रियाँ नहीं, लड़की...वे लड़कियाँ हैं। आवाज से पता चलता है।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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मैं देख सकती हूँ। मैं दूसरों के दिमाग को पढ़ सकती हूँ। गले लगाते समय हम लोग दूसरों को नापते हैं।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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वह उसके शरीर के जलप्रपातों, बावड़ियों और उतार—चढ़ावों में सफर कर रहा है।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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लगभग पाँच साल पहले तुम यहाँ आई थीं न कमला, फिर कैसे तुम बता रही हो कि यहीं खड़ी थीं?’’ ‘‘मैं कह सकती हूँ जेम्स। खुली आँखों से तुम जो कुछ भी नहीं देख पा रहे हो, ऐसा बहुत कुछ मैं देख सकती हूँ।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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प्यार जैसी ही है नफरत भी। कुछ समय बाद उबाऊ लगने लगती है।
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रिश्ता टूटने पर भी उस बारे में सोचकर दुःखी न होने के लिए हमने पहले से करार कर रखा था। इसीलिए मैं तुम्हारे साथ आई और सफर किया।
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अपना साढ़े दस वर्ष पुराना कंबल, सिर दर्दवाली फाइल, एस्पीरिन की चार गोलियाँ और टीन का पुराना बक्सा लेकर एक स्टूल के ऊपर चढ़ने के बाद यों बोला, ‘‘कॉमरेड्स, शादी जन्म हो जाने का बदला लेना है। इसलिए मैं शादी करने जा रहा हूँ। गुड बाई।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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शायद वह हँसी उसके होंठ पर गिरी वर्षा की कणिका की चमक ही रही होगी।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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रिमझिम बरसती बारिश में सिर के ऊपर एक हथेली को छाता बनाकर
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बस, बस कीजिए। मैं नौकरी छोड़ रहा हूँ। अब तो केवल इधर के पौधे ही मुरझा गए हैं। कल शायद यहाँ के निवासी भी इसी तरह मुरझा जाएँगे अथवा भूकंप में यह इमारत भी ढह जाएगी। ऐसा होने पर मैं ही इन सबका जिम्मेवार ठहराया जाऊँगा। इस आधे बित्ते पेट के लिए इतना सह नहीं पाऊँगा, यही मेरा निर्णय है। मैं समझता हूँ कि मिट्टी की देवमूर्तियाँ बनाकर गलियों में घूम—फिरकर बेचकर मैं अपनी बीवी की, एक निरीह लड़की की और अपनी जीविका तो चला सकूँगा। यह पोशाक आगे मुझे नहीं चाहिए।’’ चौकी में घुसकर उसने खाकी की पोशाक उतार दी और पुराना पाजामा तथा बिना बटन का सिकुड़ा जूता पहनकर बाहर आया और उस इमारत तथा वहाँ के सभी लोगों का विनम्रतापूर्वक नमन करके चल दिया। मिसेज मेनन तथा दूसरों के चेहरे और दिल में यह सवाल उभरकर आया कि क्या आजकल के जमाने में इतने लाघव के साथ कोई चौकीदार की अच्छी—खासी नौकरी छोड़कर जा सकेगा? मिसेज मेनन और दूसरों के चेहरों पर तथा मन में सवाल अंकुरित, पल्लवित हो उठा और सनकी फूल भी खिल उठे। मिसेज मेनन ने उसकी करनी को खुले तौर पर घमंड घोषित कर दिया। बुखार के शमन के बाद नहाकर थोड़ी फुरती के साथ, बिना बारिश की एक सुबह को जब मैं दफ्तर की ओर जाने लगा; तभी मैंने दिल दहलानेवाला वह दृश्य देखा था। जूड़ा बाँध रखी और हँसमुख अपनी बेटी को एक कंधे पर तथा दूसरे कंधे पर पहाड़ को ढोनेवाले हनुमान की मिट्टी की मूर्ति को थामे वह गली में चल रहा है। बिना किसी संदेह के वह जोर—जोर से बता रहा है कि हनुमान द्वारा ढोए हुए पहाड़ की चोटी पर मृतसंजीवनी नामक अपूर्व औषधि का पौधा है। लड़की के सीसे के नूपुर पहने पाँव उसकी छाती पर उसकी बोली के अनुरूप ताल दे रहे हैं।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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काली पुतलियों में शरारती जिद की चमक। दुबले पैरों पर पहाड़ सी वह अटल खड़ी है।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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सबके सब यह कहने लगे कि विदेश में रहनेवाले अपने पति तथा दूर बोर्डिंग में रहकर पढ़नेवाले अपने दो बच्चों के बराबर या उससे ज्यादा वे इस पौधे को प्यार करती हैं। कभी—कभार ही फूलनेवाले एक पौधे के प्रति ऐसी सनक! किसी—किसी ने दाँतों तले उँगली दबाकर पूछा भी, किंतु अकस्मात् एक दिन उसमें फूल खिल उठे तो सबके सब समान रूप से हर्षित हो गए। उन अनोखे फूलों की तसवीर खींचने के लिए पत्रकार आए।
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S. Tankmani Amma (Malyalam Ki Lokpriya Kahaniyan: Stories That Capture the Essence of Kerala's Culture (Hindi Edition))
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This was in the early 1970s, and the controversy had been about the ‘revealing’ autobiography written by one of Kerala’s finest literary authors, Madhavikutty (Kamala Das). However, no two authors could be so differently located. Madhavikutty was born into an aristocratic Nair family, was the daughter of an eminent poet in Malayalam, and the niece of a prominent intellectual. She was already well known as a short story writer in Malayalam and as a poet and writer in English when Ente Katha appeared. Jameela came from a lower-middle class, lower caste (Ezhava) family, was removed from school at nine, and worked as a labourer and a domestic worker before becoming a sex worker. Later she became an activist and a filmmaker, but was not very well known outside a narrow sphere.
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Nalini Jameela (The Autobiography of a Sex Worker)