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इस देश पे हम दिलोंजान छिडकते हैं,
कोई आँच ना आये इसपे ये खयाल रखते हैं,
सरहदों पर नौजवानों को सलाम भेजते हैं,
हर एक कुरबाणी का हिसाब भी रखते हैं,
दुल्हनसी इस धरती को किसान सजाता हैं,
पत्थर के पहाडोसे कोई अंदर नहीं आता हैं,
बात देश की होतीं हैं तो हर धर्म पिघल जाता हैं,
हर रंगरूप में ये देश एक नयी छवी दिखाता हैं,
यहां त्याग का सम्मान सबसे अधिक होता हैं,
यहां शहीद को भी एक नया जीवन मिलता हैं,
मेरे देश के कई सायें फैले हैं पूरी दुनिया मैं,
समेटना चाहता हूं एक दिन इसे इसी भेस में,
तकनीकी के इस नये समय में हम इतने आगे बढें,
गणतंत्र दिवस के अवसर पर बडी जीत का प्रण लें।
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