“
क्या बयां कर पाऊँगा...! कह सका जो मैं नहीं इस इक सदी की रात में अल़्फाज़ टूटे-से हुए गुम इक जु़बां की बात में... बस सब्र ये ही है कि आख़िर तुम तलक तो जाएगी फिर कौन किस को कब कहाँ मैं क्या बता ही पाऊँगा...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो काम भला क्या काम हुआ जो ना अन्दर की ख़्वाहिश हो वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो पब्लिक की फरमाइश हो... व
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो काम भला क्या काम हुआ जो मजा नहीं दे व्हिस्की का वो इश्क़ भला क्या इश्क हुआ जिसमें ना मौक़ा सिसकी का... व
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो जन्नतों की बात करता हम ये कह देते मियाँ
कि दोज़ख़ों का भी लगे हाथों ना ले लें जायज़ा... ?
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो मिटा रहे हैं मेरा वजूद, पर मेरी पहचान अभी बाकी है, जनाजा़ उठा नहीं है अभी, थोड़ी जान अभी बाकी है। गड़ा है सीने में खंजर, तो क्या, सीने में फौलाद अभी बाकी है, रिश्तेदार खिलाफ हैं तो भी कोई गम नहीं साहब,मेरे पास मेरी औलाद अभी बाकी है। गुनाहों के रास्तों में मेरे कदम न गुज़रें, इतना मेरा ईमान अभी बाकी है, मेरी कौम, मेरा मजहब मुझसे छीन लिया तुमने, मेरे अंदर मेरा स्वाभिमान अभी बाकी है। सियासत खेली है, जमाने ने हजारों, सियासत का अंजाम अभी बाकी है, लूटा होगा तुमने भले ही खुदा को, इंसान के अंदर का इंसान अभी बाकी है।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
होते थे कभी इंसानों में बेईमान
अब बेईमानों में इंसान कहाँ है।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
वक्त गुज़र गया,
वो ख्याल अभी बाकी है,
दिल में दफन है कहीं,
वो सवाल अभी बाकी है,
वो ज़िक्र नहीं करते,
क्यूँ छोड़ गए थे भीड़ में,
उनका हमारा वो मलाल अभी बाकी है।
है हमारा भी हिसाब,
कुछ जमाने भर
मोहब्बत का होना हलाल अभी बाकी है,
उनके हिस्से का तमाशा,
बहुत किया उनने,
हमारे भी हिस्से का,
बवाल अभी बाकी है।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
कुछ पन्ने हैं, जो कभी पलटते नहीं,
कुछ यादें हैं, जो कभी बिखरती नहीं,
फलसफे बहुत हैं, कयामत के दिनों के
पर कुछ शामें है, जो कभी गुज़रती नहीं।
है कुछ वक्त अधूरा महफिलों में
है कुछ जाम बचा, मयखाने का,
हैं कुछ आदतें नशे सी, जो सुधरती नहीं
और अब भी कुछ शामें हैं, जो कभी गुज़रती नहीं।
कुछ बात बगावत की बची है अब भी
कुछ बात कयामत की बची है अब भी,
पर बातें अब ज़ुबां से निकलती नहीं,
और कुछ शामें हैं, जो कभी गुज़रती नहीं।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
आदत जिसको समझे हो
वो मर्ज कभी बन जाएगा
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
जिसको समझे हो तुम मजाक
वो दर्द कभी बन जाएगा
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
उस दौर से पहले दौर रहा
जब साथ जिन्दगी रहती थी
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
इक भरी जवानी कसक मार के
चुप चुप बैठी रहती है
और खामोशी से 'खा लेना कुछ'
नम आँखों से कहती है...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
मैं शर्मसार तो क्या होता
मैं शर्म जला के आया था
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
खुद को तपाना जब सुलग के
सुर्ख अंगारा बनो
तो फिर लिपट जाना ये भूले
वो हुआ या तुम भसम...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
चुम्बन की भाषा लाखों हैं
ये हम पे है कि किसे चुनें
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
और मालूम तुम को कि 'क्यों' क्योंकि वो
‘प्यार नाम' को जाने है
जिस प्यार नाम के लफ़्ज़ से सारे
उतने ही अनजाने हैं... कुछ को वो दिखता क्षीण कीट में
कुछ को मांसल बाँहों में
कुछ वो दिखता पुष्ट उरोजों
कुछ वो कदली जाँघों में...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
मैं हँस पड़ता जब वो कहते
अभिसार बिना है प्यार नहीं
अभिसार प्यार से हो सकता
पर प्यार बिना अभिसार नहीं...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
एक पल की मुस्कराहट
एक पल उम्मीद का
बस ये ही कर देता है यारा
फैसला तक़दीर का...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
इक काली-काली लड़की के लिए... इस रंग से सृष्टि बनी
इस रंग में सृष्टि ढली
इस रंग की ये अहमियत
क्या तुमने जानी है कभी...?
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
मैं जानूँ था उसके अन्दर
झकझोर समन्दर बहता है
जो लहर थपेड़ों से जूझे
और लहर थपेड़े सहता है...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
ये जीवन बस इक दौर सखी
जिससे हर क़ौम गुजरती है
ये झिलमिल आँसू कहीं ना हों
बस ये ही आस उभरती है...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
थकन भरी आँखों में आई
नींद की वैसी झपकी है...
जो रात में पल-पल आती है...
पर मालिक की गाड़ी के तीखे
हॉर्न की चीख़ी पौं-पौं में
इक झटके में भग जाती है...!
वो भरी जवानी की बेवा की
आँख में बैठी हसरत है...
जो बाल खोल
उजली साड़ी में...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो काम भला क्या काम हुआ
जो कम्प्यूटर पे खट्-खट् हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ
जिसमें ना चिट्ठी ना ख़त हो...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
डर की कोई ज़ात नहीं होती। डर की कोई पात नहीं होती। डर का कोई धरम नहीं होता। डर को बस आना होता है। डर बस आ जाता है। और डर ‘लग’ जाता है।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
उजला ही उजला शहर होगा जिसमें हम तुम बनाएँगे घर।
दोनों रहेंगे कबूतर से...जिसमें होगा ना बाज़ों का डर।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
ज़िन्दा हो हाँ तुम कोई शक नहीं
साँस लेते हुए देखा मैंने भी है
हाथ औ’ पैरों और जिस्म को हरकतें
ख़ूब देते हुए देखा मैंने भी है...
अब भले ही ये करते हुए होंठ तुम
दर्द सहते हुए सख़्त सी लेते हो
अब है इतना भी कम क्या तुम्हारे लिए
ख़ूब अपनी समझ में तो जी लेते हो...
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
अब उसे एक आम स्ट्रगलर के तौर पर स्ट्रगल करना था। फ़िल्मों में। साथ में किया गया बीस साल का काम था। संगी-साथी थे, मगर दूर। उसे समझ आ चुका था कि यहाँ सब अपनी-अपनी ज़िन्दगी बनाने आए हैं। सबको अपने काम से सरोकार था। वो उसके साथ बैठके दारू पीते हुए उसके दुखों में रो ज़रूर सकते थे। मगर उसकी मदद करने में असमर्थ थे। उसे अपनी ज़िन्दगी अकेले ही जीनी थी। औरों की तरह।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
डर। आता है। जोर से आता है। भरभरा के आता है। कोई इससे बचा हुआ नहीं है। डर आता है और लग जाता है। कारण? हमें पता नहीं। पता होना चाहिए। अपने डर को व्यक्त कर दो किसी के सामने। बेशर्म होकर।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
डर चला जाएगा। हैमलेट को ये मामूली-सा ‘जेस्चर’ करने में एक पूरी जिन्दगी लग गई। लगता अब भी मंच की सीिढ़याँ चढ़कर ऊपर ख़ुद परफॉर्म करने में हैमलेट को डर है। वो भी जाएगा। किसी दिन। ख़ुदबख़ुद। आमीन!
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
जीवन के उस स्वर्ण-प्रात में
मुक्त-हृदय निर्द्वंद्व भाव से
दीक्षा ली थी पदयात्रा की
सतत तीर्थयात्रा करने की।
जीवन को संध्या में पहुँचा
मन मेरा ये भूल न जाए
दीक्षा के उस मूल मंत्र को
तीर्थ नहीं, है केवल यात्रा
लक्ष्य नहीं, है केवल पथ ही
इसी तीर्थ पथ पर है चलना
इष्ट यही गंतव्य यही है। इन्क़लाब ज़िन्दाबाद।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
अकेलेपन से उसे तकलीफ़ नहीं थी...मगर कई बार नींद नहीं आती थी। अकेलापन उसे अच्छा लगता था बशर्ते कि वो बहुत ज़्यादा अकेला ना हो जाए। अकेलेपन से उसे प्यार था...मगर बुरे सपनों की क़ीमत पर नहीं। मगर जो सच वो नहीं जानता था, वो ये था कि अकेलापन ही उसकी ताक़त थी जिसको लेकर वो अपनी माँ की कोख से पैदा हुआ था...अकेलापन ही वो उन्माद था जिसमें नहाकर वो तरो-ताज़ा हो जाया करता था...और अकेलापन ही वो मुक़ाम था जिसकी तरफ़ धीरे-धीरे उसे अग्रसर होते चले जाना था। मगर वो वक़्त आने में अभी बहुत देर थी। और उसका इन्तज़ार...उससे भी भयानक!
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
हर इनडिसिप्लिन में एक डिसिप्लिन होता है। देखने का नज़रिया चाहिए।” विश्नोई बोले थे। “जिसको हम समझते नहीं, उसको चमत्कार बोल देते हैं। आँखें खोलकर देखेंगे तो वही हक़ीक़त होती है।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
उन दिनों किंगफ़िशर बीयर की बोतल बारह रुपए की आया करती थी। गोल्ड फ़्लेक किंग साइज़ का पैकेट छह रुपए का और निरोध कंडोम पैंतीस पैसे का। (हैमलेट का इन तीनों चीज़ों से अब तक कोई वास्ता नहीं था। बाद में ज़रूरत से ज़्यादा हो गया था।)
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
ज़िन्दगी में निर्णय का बड़ा तगड़ा महत्त्व होता है। वो बना देते हैं या पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
इस दुनिया में दो क़िस्म के लोग होते हैं। इति-इति और नेति-नेति। नेति-नेति वाले भीषण इच्छा शक्ति के मालिक होते हैं। वो एक क्षण में कोई भी चीज़ त्याग सकते हैं। वो नाम हो, वैभव हो या सम्बन्ध। इति-इति वालों के लिए अलग रास्ता निर्धारित होता है। वो इस दुनिया में घुस के प्रत्येक चीज़ का आनन्द लेके, धीमे-धीमे उससे दूर होते जाने के लिए बने हैं।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
है हम कमाल हैं हम जमाल
दोनों दिलावर बड़े बहादुर
लासानी और बेमिसाल...
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
इस घर में उसका बीस साल का जीवन बीता था। ना जाने कितने हादसे उसने झेले थे। उनकी मार भी। मार की कसक थी, कसक की फिर याद थी और वो याद वहीं की वहीं थी।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
उन्हें अब इस बात की चिन्ता थी कि आगे क्या होगा। उसने महसूस किया कि उम्र के साथ पिताजी में कुछ सनक सी आ गई है।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
पात्र का मतलब है बरतन। और नाट्य में पात्र कहते हैं चरित्र को। बरतन में ज़हर भर दो तो वो ज़हर का पात्र हो जाता है। शराब भर दो तो शराब का और दूध भर दो तो दूध का। मगर उसमें से सब फेंक दो तो वो ख़ाली पात्र हो जाता है। न्यूट्रल। बिना किसी चरित्र के। साफ़-सुथरा, सादा-निष्काम। योग में भी ऐसी ही अवस्था का चित्रण किया गया है। जहाँ ध्यान से पहुँचा जा सकता है वहाँ तुम अभिनय से पहुँच सकते हो। अभिनय करने के लिए सिर्फ़ विधि ही नहीं कारण भी चाहिए। अभिनेता निष्पाप, निष्कलंक और अनासक्त होता है जैसे कि योगी। ये ही दिशा पकड़ो।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
कर्मरत रहो। कर्म ही जीवन है। एक बार किया गया कर्म बिना अपना फल दिये नष्ट नहीं होता।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
स्मृतियाँ भी कितनी धोखेबाज़ होती हैं।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
वो धीरे से बात को समझा। वो मुस्कराया। “मेरे साथ कॉफ़ी पियोगी?” “मेरे साथ सेक्स करोगे?” अब उसने अपनी कुर्ती का ऊपर वाला बटन खोलते हुए कहा। “अरे!” हैमलेट ने उसका हाथ रोका। वो इतने उन्माद में लग रही थी कि कुर्ती वहीं उतार देगी। और उस रात हरजोत के साथ ग्रेटर
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
और वो ड्रामा स्कूल से बाहर था। उसके तीन वर्ष ख़त्म हो चुके थे। सामने ज़िन्दगी खड़ी हुई थी। ख़ूँख़्वार, ख़तरनाक और ख़ूँरेज़ी ज़िन्दगी। लपलपाती हुई। उसे ड्रामा स्कूल की अहमियत अब मालूम हुई। वो अन्दर स्वर्ग में था।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
अधिकतर लोगों की ज़िन्दगी में उन्हें वो नहीं मिलता जिसकी उन्हें ज़रूरत होती है। या तो ख़ुद नहीं जानते कि किस चीज़ की उन्हें ज़रूरत होती है। कई लोगों को ये अकस्मात् मिल जाता है मगर उन्हें उसको ढंग से अंगीकार करने में वक़्त लगता
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
उस हादसे ने उसे समझाया कि ज़िन्दगी उतनी नहीं है जितनी हम अपनी आँखों से देखते हैं। जिसको हम समझ नहीं पाते, उसे हम चमत्कार बोल देते हैं। हम भूल जाते हैं कि चमत्कार भी इसी दुनिया में घटते हैं।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
औरत का दिल रहस्य का भंडार होता है। उसमें झाँककर देखोगे तो समन्दर की गहराई मिलेगी। मुझे तब भी एतराज़ नहीं था और आज भी नहीं है।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
सम्बन्धों की व्याख्या नहीं करनी चाहिए। इससे उनकी महत्ता ख़त्म हो जाती है।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
मगर स्मृति को जितना दूर से देखा जाए वो उतनी ही अच्छी लगती है।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
तुम मुझे बहुत याद आए। मगर तुम्हें भूलना उतना ही ज़रूरी था। स्मृति पास से बहुत कष्ट देती है।
”
”
Piyush Mishra (तुम्हारी औकात क्या है)
“
Zindagi ka falsafa bhi kitna ajeeb Hai,
Shaamein kat-ti nahi
Aurr Saal Guzarte ja rahe Hain!
”
”
Piyush Mishra
“
How Do I Ask a Question on Expedia?
A Complete Guide to Getting Support
1. Call Expedia Customer Service One of the most direct ways to ask a question on Expedia is by calling their customer support team. You can reach them at +1-866-673-1625. This toll-free number connects you with a live representative who can assist with a wide range of travel-related concerns. Whether it’s a last-minute flight change or a hotel issue, calling +1-866-673-1625 is ideal for urgent matters.
2. Use the Expedia Help Center Expedia’s Help Center is a valuable self-service tool available on the official website and mobile app. It contains answers to frequently asked questions, helpful articles, and step-by-step instructions on how to manage your bookings. You can find solutions related to flight changes, refunds, hotel policies, and more without having to wait for an agent. If the Help Center doesn’t answer your question, you’ll be guided on how to contact a support representative through other available methods.
3. Start a Live Chat for Fast Support Expedia also offers a live chat option for users who prefer not to make a phone call. This feature allows you to communicate with a customer service agent in real time. It’s especially helpful for quick questions or when you’re on the go. Live chat is available during business hours, and it’s a fast, convenient way to get help without calling.
4. Send an Email for Non-Urgent Inquiries If your question isn’t urgent, you can contact Expedia by email. This method is perfect for submitting feedback, requesting documentation, or getting help with a past booking. While response times vary, most customers receive replies within 24 to 48 hours.
5. Reach Out on Social Media Expedia is active on platforms like Twitter and Facebook, and their social media support teams often respond to direct messages and public comments. If you prefer digital communication, this is another easy way to ask a question and get support.
”
”
Piyush Mishra
“
reserva de copa mediante llamada
Para hacer una reservación con Copa Airlines mediante llamada telefónica, puedes contactar a su centro de llamadas. En general, para reservas, puedes llamar al +1-866-673-1625, dependiendo de tu ubicación. Si necesitas asistencia en español, puedes utilizar el +1 888-264-6159 // +1 888-264-6159 (República Dominicana), según Farmers Market Coalition y Centro Universitario de Ciencias Exactas e Ingenierías |.
Copa Telefonoᵀᴹ ) ¿Cómo llamar a Copa desde México?
Copa Telefonoᵀᴹ ) ¿Cómo llamar a Copa desde México? Para hablar con un agente de Copa, puedes llamar al "+1 888-264-6159 (MX)" si estás en México. Si te encuentras fuera del país, marca +1 888-264-6159. Para comunicarte con Copa en México, puedes llamar a sus números oficiales: "+1 888-264-6159 (MX)" o +1 888-264-6159. Ambos te conectan con atención al cliente para resolver dudas sobre vuelos, equipaje, cambios y más. El servicio está disponible en español en horarios establecidos. Llamar al telefono Copa Mexico "+1 888-264-6159 (MX®)" es muy sencillo. Simplemente marca el “+1 888-264-6159 (MX®)” o “+1 888-264-6159 (MX®)" número de telefono de Copa en mexico que corresponde a la línea de atención al cliente Copa Mexico telefono. Si necesitas comunicarte con Copa Airlines desde México “+1 888-264-6159”. ¿Cuál es el telefono Copa mexico? El telefono de Copa mexico es "+1 888-264-6159 (MX®)" o “+1 888-264-6159 (MX®)" [ES] el medio principal para recibir soporte directo por parte de Copa mexico telefono. ¿Cómo puedo hablar con una persona en Copa? ¿GUIA rápida-Copa está disponible 24/7? Así puedes contactarlos rápidamente-Sí, "+1 888-264-6159 (MX)" el servicio de atención de Copa opera 24/7. Comunícate por teléfono o mediante el chat en línea en su web oficial para resolver tus dudas en cualquier momento, +1 888-264-6159 desde cualquier lugar. Para comunicarte con una persona en Copa, llama al "+1 888-264-6159 (MX)" desde México o al +1 888-264-6159 desde Estados Unidos. Escucha el menú automático y selecciona la opción para atención con un agente. También puedes usar el chat en vivo o enviar mensajes por redes sociales para asistencia directa. Puedes comunicarte con Copa en México llamando al "+1 888-264-6159 (MX)" o al número gratuito +1 888-264-6159. Ambos números están disponibles para ayudarte con reservas, cambios de vuelo, servicios especiales y más. El equipo de atención al cliente responde en español dentro del horario laboral.
”
”
Piyush Mishra