“
क्या बयां कर पाऊँगा...! कह सका जो मैं नहीं इस इक सदी की रात में अल़्फाज़ टूटे-से हुए गुम इक जु़बां की बात में... बस सब्र ये ही है कि आख़िर तुम तलक तो जाएगी फिर कौन किस को कब कहाँ मैं क्या बता ही पाऊँगा...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो काम भला क्या काम हुआ जो मजा नहीं दे व्हिस्की का वो इश्क़ भला क्या इश्क हुआ जिसमें ना मौक़ा सिसकी का... व
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो काम भला क्या काम हुआ जो ना अन्दर की ख़्वाहिश हो वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो पब्लिक की फरमाइश हो... व
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
वो जन्नतों की बात करता हम ये कह देते मियाँ
कि दोज़ख़ों का भी लगे हाथों ना ले लें जायज़ा... ?
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
इक काली-काली लड़की के लिए... इस रंग से सृष्टि बनी
इस रंग में सृष्टि ढली
इस रंग की ये अहमियत
क्या तुमने जानी है कभी...?
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
खुद को तपाना जब सुलग के
सुर्ख अंगारा बनो
तो फिर लिपट जाना ये भूले
वो हुआ या तुम भसम...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
मैं जानूँ था उसके अन्दर
झकझोर समन्दर बहता है
जो लहर थपेड़ों से जूझे
और लहर थपेड़े सहता है...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
ये जीवन बस इक दौर सखी
जिससे हर क़ौम गुजरती है
ये झिलमिल आँसू कहीं ना हों
बस ये ही आस उभरती है...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
चुम्बन की भाषा लाखों हैं
ये हम पे है कि किसे चुनें
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
आदत जिसको समझे हो
वो मर्ज कभी बन जाएगा
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
जिसको समझे हो तुम मजाक
वो दर्द कभी बन जाएगा
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
उस दौर से पहले दौर रहा
जब साथ जिन्दगी रहती थी
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
इक भरी जवानी कसक मार के
चुप चुप बैठी रहती है
और खामोशी से 'खा लेना कुछ'
नम आँखों से कहती है...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
मैं शर्मसार तो क्या होता
मैं शर्म जला के आया था
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
एक पल की मुस्कराहट
एक पल उम्मीद का
बस ये ही कर देता है यारा
फैसला तक़दीर का...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
और मालूम तुम को कि 'क्यों' क्योंकि वो
‘प्यार नाम' को जाने है
जिस प्यार नाम के लफ़्ज़ से सारे
उतने ही अनजाने हैं... कुछ को वो दिखता क्षीण कीट में
कुछ को मांसल बाँहों में
कुछ वो दिखता पुष्ट उरोजों
कुछ वो कदली जाँघों में...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
मैं हँस पड़ता जब वो कहते
अभिसार बिना है प्यार नहीं
अभिसार प्यार से हो सकता
पर प्यार बिना अभिसार नहीं...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
थकन भरी आँखों में आई
नींद की वैसी झपकी है...
जो रात में पल-पल आती है...
पर मालिक की गाड़ी के तीखे
हॉर्न की चीख़ी पौं-पौं में
इक झटके में भग जाती है...!
वो भरी जवानी की बेवा की
आँख में बैठी हसरत है...
जो बाल खोल
उजली साड़ी में...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)
“
होते थे कभी इंसानों में बेईमान
अब बेईमानों में इंसान कहाँ है।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
वक्त गुज़र गया,
वो ख्याल अभी बाकी है,
दिल में दफन है कहीं,
वो सवाल अभी बाकी है,
वो ज़िक्र नहीं करते,
क्यूँ छोड़ गए थे भीड़ में,
उनका हमारा वो मलाल अभी बाकी है।
है हमारा भी हिसाब,
कुछ जमाने भर
मोहब्बत का होना हलाल अभी बाकी है,
उनके हिस्से का तमाशा,
बहुत किया उनने,
हमारे भी हिस्से का,
बवाल अभी बाकी है।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
कुछ पन्ने हैं, जो कभी पलटते नहीं,
कुछ यादें हैं, जो कभी बिखरती नहीं,
फलसफे बहुत हैं, कयामत के दिनों के
पर कुछ शामें है, जो कभी गुज़रती नहीं।
है कुछ वक्त अधूरा महफिलों में
है कुछ जाम बचा, मयखाने का,
हैं कुछ आदतें नशे सी, जो सुधरती नहीं
और अब भी कुछ शामें हैं, जो कभी गुज़रती नहीं।
कुछ बात बगावत की बची है अब भी
कुछ बात कयामत की बची है अब भी,
पर बातें अब ज़ुबां से निकलती नहीं,
और कुछ शामें हैं, जो कभी गुज़रती नहीं।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
Zindagi ka falsafa bhi kitna ajeeb Hai,
Shaamein kat-ti nahi
Aurr Saal Guzarte ja rahe Hain!
”
”
Piyush Mishra
“
वो मिटा रहे हैं मेरा वजूद, पर मेरी पहचान अभी बाकी है, जनाजा़ उठा नहीं है अभी, थोड़ी जान अभी बाकी है। गड़ा है सीने में खंजर, तो क्या, सीने में फौलाद अभी बाकी है, रिश्तेदार खिलाफ हैं तो भी कोई गम नहीं साहब,मेरे पास मेरी औलाद अभी बाकी है। गुनाहों के रास्तों में मेरे कदम न गुज़रें, इतना मेरा ईमान अभी बाकी है, मेरी कौम, मेरा मजहब मुझसे छीन लिया तुमने, मेरे अंदर मेरा स्वाभिमान अभी बाकी है। सियासत खेली है, जमाने ने हजारों, सियासत का अंजाम अभी बाकी है, लूटा होगा तुमने भले ही खुदा को, इंसान के अंदर का इंसान अभी बाकी है।
”
”
Piyush Mishra (रंग-ए-ख्याल | Rang-e-Khayaal)
“
वो काम भला क्या काम हुआ
जो कम्प्यूटर पे खट्-खट् हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ
जिसमें ना चिट्ठी ना ख़त हो...
”
”
Piyush Mishra (Kuchh Ishq Kiya Kuchh Kaam Kiya)