“
पर चुका जा रहा साँस का स्नेह अब
रोशनी का पथिक चल सकेगा नहीं,
आँधियों के नगर में बिना प्यार के
दीप यह भोर तक जल सकेगा नहीं,
पर चले स्नेह की लौ सदा इसलिए
जिस जगह मैं बुझूँ, उस जगह तुम जलो।
प्रेम-पथ हो न सूना कभी इसलिए
जिस जगह मैं थकूँ, उस जगह तुम चलो
”
”
Gopaldas "Neeraj"
“
क्षत-विक्षत शिर-वक्ष, न कोई साथी-सम्बल, पर जब तक लालसा समर की शेष रक्त में, हार - हार यह नहीं, विजय ही अमर अभय है।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
ऊँघती पुतलियों में जड़े जो सपन, वे किन्हीं आँसुओं से मिले दान हैं,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना, उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है!!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जब लिखने के लिए लिखा जाता है तब जो कुछ लिखा जाता है उसका नाम है गद्य, पर जब लिखे बिना रहा न जाए और जो ख़ुद लिख-लिख जाए उसका नाम है कविता।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
रे गन्ध नहीं बाँधी जा सकती ताकत से,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
कल जिस राह चलेगा जग मैं उसका पहला प्रात हूँ
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
आह श्यामल बाहुओं की घाटियों के पार,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
मैं तो लेकर कलम उठूँ तुम लेकर नई मशाल उठो साज़िश का ये नगर ध्वस्त हो हँसिये ओर कुदाल उठो लोकतंत्र
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
दीपों से ज़्यादा अमीर थी, उँगली दीप बुझाने वाली,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जले उमर-भर फिर भी जिनकी अर्थी उठी अँधेरे में ही,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
सब की सब सृष्टि खिलौना बन जाये यदि नज़र उमर की लगे न बचपन को!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
है धूल बहुत नाचीज़ मगर मिटकर दे गई रूप अनगिन प्रतिमाओं को,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
आँसू तो मोती निकला और मोती इक पत्थर निकला भेद खुला ये तब जब अपना सारा वैभव बिखर गया।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
पर जब तक लालसा समर की शेष रक्त में, हार - हार यह नहीं, विजय ही अमर अभय है। यदि मन अजित-अजेय, पराजय भी फिर जय है।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
है संसार अरे धनियों का दुखियों का संसार नहीं,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
अपनी बानी प्रेम की बानी… बोली यही तो बोले पपीहा घुमड़ें कि जब घनश्याम,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
मस्ती के बन की है ये हिरनिया घूमे सदा निर्द्वन्द्व, रस्सी से इसको बाँधो न साधो! घर में करो ना बन्द हम जो अरथ समझे इसका तो फूँक के बाती जली समझे! अपनी बानी प्रेम की बानी…
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
गीत दर्द का पहला बेटा दुख है उसका खेल खिलौना कविता तब मीरा होगी जब हँसकर ज़हर पिया जायेगा।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
या तो पार लगा दूँगा
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जिनके घर न दिया जलता, जिनसे प्रकाश नाराज़ है, राज उन्हें सूरज पर करना मुझे सिखाना आज है,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
है अधिक अच्छा यही फिर पंथ पर चल मुस्कुराता, मुस्कुराती जाय जिससे ज़िन्दगी असफल मुसाफ़िर! पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफ़िर।।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जिस वक्त जीना ग़ैर-मुमकिन-सा लगे, उस वक्त जीना फ़र्ज है इन्सान का, लाज़िम लहर के साथ है तब खेलना, जब हो समुन्दर पर नशा तूफ़ान का,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
कैसे किसके गले डाल दूँ माला अपने हाथ से मैं तो अपनी नहीं, धरोहर हूँ तेरी संसार में!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
चुन रक्खा है मुझे साँस ने मिट्टी की दीवार में!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
एक क्षुद्र - सा फूल रूप सारे उपवन का? एक बूँद ही तो समुद्र की गहराई है,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
पूनम को बदचलन बताती थी मावस की रजनी काली,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
क्या अजीब थी प्यास कि अपनी उमर पी रहा था हर प्याला, जीने की कोशिश में मरता जाता था हर जीने वाला,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
बेहिसाब साँस के सफ़र में प्यार की कहानी रात भर की है दर्द की अँधेरी सूनी राहों पर रूप की जवानी रात भर की है
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
रह गये धरे के धरे ताख में ज्ञान-ग्रन्थ, छुट गई बँधी की बँधी रतनवाली गठरी लुट गई सजी की सजी रूप की हाट
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
है अनिश्चित हर दिवस, हर एक क्षण सिर्फ़ निश्चित है अनिश्चितता यहाँ
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
या फिर बेमौसम डूबूँगा ख़ुद गहरी मँझधार में!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जिस दर्द से सारी उमर रोते कटे, वह दर्द पाना है ज़रूरी प्यार को,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
पकी निबौरी, हरे हो गये पीले पत्ते आम के
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
फागुन बिना चुनरिया भींगे सावन बिना भवन भींगे
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
कोई था बदहाल धूप में, कोई था ग़मग़ीन छाँव में, महलों से कुटियों तक दुख की थी हर सुख से रिश्तेदारी,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
एक पल बना लो उम्र सारी,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
एक बार मरकर ही मैं युग-युग तक जीने आता हूँ, हुंकारें सुन हिल जायेंगी भू, नभ की तसवीरें, ताज हिलेंगे, राज हिलेंगे, तख़्तों की तक़दीरें, हिल जायेंगे मंदिर-मस्जिद पराधीन जंज़ीरें, किन्तु रहेंगी अमिट लहू से मेरे बनी लकीरें, आज विश्व के वैभव की मैं ईंट हिलाने आया हूँ। मैं विद्रोही हूँ, जग में विद्रोह कराने आया हूँ।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
गीत हमारे ही गुलाब थे अश्क हमारे ही शबनम थे है यश का पैबन्द मगर अब जीवन की मैली चादर में।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
अधिकार जब अधिकार पर शासन करे, तब छीनना अधिकार ही कर्तव्य है, संहार ही हो जब सृजन के नाम पर, तब सृजन का संहार ही भवितव्य है, बस ग़रज़ यह गिरते हुए इन्सान को, हर तरह हर विधि से उठाना धर्म है!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
आँसू के बाग़ों में जिसने जाकर बोये गीत - रुबाई, सिक्कों की धुन पर अब नाचे उसके ही सुर की शहनाई।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
मत पुजारी बन स्वयं भगवान बनकर जी!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जो जाना - वह सीमा है सिर्फ़ जानने की सत्य तो अनजाने ही आता है जीवन में
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
कैद है तेरी कलाई भी किसी कँगन में तू भी सोने की चमकती हुई झंकार ही है!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
सूरज के चले जाने पर जैसे फूलों की हँसी सूख के झर जाती है
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
आँधी के थपेड़े से मोमबत्ती की काँपती लौ न किसी तौर भी जल पाती है!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
और बैठा हूँ मैं हाथों में लिए कुछ तिनके जबकि नस-नस मेरी रस्सी की तरह ऐंठी है।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
हम नहीं काज़ी-पुरोहित, हम नहीं रामू-रहीमन भेद से आगे खड़े हम, फ़र्क़ से अनजान हैं हम प्यार है मज़हब हमारा और बस इन्सान हैं हम!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
केवल पेट और रोटी की यहाँ कहानी होती है,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जो अमर है वह न धरती पर रहा, मर्त्य का ही भार मिट्टी ने सहा,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
ज़िन्दगी क्या-समय के बियाबान में एक भटकी हुई फूल की गंध है,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
अब वे रातें न रहीं, अब वे बिछौने न रहे,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
अब वह बचपन न रहा अब वह खिलौने न रहे।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
और तब तक के लिए अपने कारखानों को, खूब समझा दे कि उगले न ज़हर धरती पर यूँ ही पीती न रहेगी मेरी धरती ये धुआँ यू ही रोती न रहेगी नये भारत की नज़र!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
पूँजी-मसनद के सहारे पे टिकी दुनिया में प्यार बिकता है गली-गाँव खिलौने की तरह होता ईमान है नीलाम बर्तनों की तरह
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
झूठी मुर्दार रूढ़ियों की हिफाज़त के लिए मारना तुझको पड़ा है शहीद मन अपना!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
कविता तू जिसे कहता वो बेटी है तेरी चौराहे पे लाकर उसे नीलाम न कर।।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
चाह तन-मन को गुनहगार बना देती है बाग़ के बाग़ को बीमार बना देती है भूखे लोगों को देशभक्ति सिखाने वालों भूख इन्सान को गद्दार बना देती है।।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
न जन्म कुछ न मृत्यु कुछ बस इतनी ही तो बात है किसी की आँख खुल गई किसी को नींद आ गई।।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
दिखे नहीं फिर भी रहे, ख़ुशबू जैसे साथ। वैसे ही यादें तेरी, संग चलें दिन-रात।।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
बाग़ है ये: हर तरह की वायु का इस में गमन है, एक मलयज की वधू तो एक आँधी की बहन है, यह नहीं मुमकिन कि मधुऋतु देख तू पतझर न देखे, क़ीमती कितनी कि चादर हो पड़ी सब पर शिकन है, दो बरन के सूत की माला प्रकृति है, किन्तु फिर भी- एक कोना है जहाँ शृँगार सब का है बराबर! फूल पर हँसकर अटक तो, शूल को रोकर झटक मत,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
किस क्षण अधरों पर कौन गीत उग आएगा ख़ुद नहीं जानती गायक की स्वरवती श्वास,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
बोल कड़ुवे भी भुला दे, गीत मैले भी धुला ले, क्योंकि बगिया के लिए गुंजार सब का बराबर!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
सिर्फ़ कुछ तिनके पड़े सिर धुन रहे थे उस हवन में, हँस पड़ा मैं देख यह तो एक झरता पात बोला- “हो मुखर या मूक हाहाकार सब का है बराबर!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
जैसे सागर पर हाथ बढ़ाया हो मानो बुझते-बुझते भी किसी एक अंगारे ने
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
क्यों सूरज जल-जलकर दिन-भर तप करता है? जब पूछा संध्या से वह चाँद बुला लाई, क्यों ऊषा हँसती है निशि के लुट जाने पर जब एक कली से कहा खिली वह मुसकाई
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
किस घुंघरू से कितना संगीत छलकता है यह बात स्वयं पायल को भी मालूम नहीं!
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
तन के तीर तैरने वाले मिले सभी, मन के घाट नहाने वाला नहीं मिला।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
थिर न जब सत्ता पहाड़ों की यहाँ, अश्रु का श्रृंगार कितने दिन चलेगा?
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
धूप के साथ लिपटी हुई छाँह है,
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)
“
रागिनी है एक प्यार की ज़िन्दगी कि जिसका नाम है गाके गर कटे तो है सुबह रोके गर कटे तो शाम है शब्द और ज्ञान व्यर्थ है पूजा-पाठ ध्यान व्यर्थ है आँसुओं को गीतों में बदलने के लिए लौ किसी यार से लगानी चाहिए।
”
”
Gopaldas "Neeraj" (काव्यांजलि)